How Delhi School Teachers Ruin the Lives of Students

स्कूल की बिल्डिंग स्कूल नहीं है। स्कूल का अर्थ तो स्कूल की पढ़ाई है, जो किसी स्कूल में नहीं हो रही। Photo by Rakesh Raman
स्कूल की बिल्डिंग स्कूल नहीं है। स्कूल का अर्थ तो स्कूल की पढ़ाई है, जो किसी स्कूल में नहीं हो रही। Photo by Rakesh Raman

How Delhi School Teachers Ruin the Lives of Students

By Rakesh Raman

In the ongoing melee about the regularization of the services of guest teachers in Delhi government schools, the biggest losers are students and their parents – most of whom belong to the disadvantaged section of the society.

Now it is an open secret that the teachers – guest as well as regular – are so incompetent that they do not deserve any job in schools. They never tried to revamp the archaic syllabuses and obsolete pedagogy in order to make students employable in the contemporary job market.

As a result, joblessness is spread like a pandemic disease and teachers are responsible for this ugly plight. Students taught by these good-for-nothing teachers cannot be called educated and they never get ready for any work that can give them proper employment.

Moreover, the teachers never tried to acquire new skills that students need to earn their livelihoods in the current cutthroat world. Let alone subject proficiency, most teachers do not know how to properly use English language which is the cornerstone for every modern job in India and abroad today.

If government is not protecting them, these government school teachers – who are surviving on public money – will not be able to get any job in the open market because they do not possess domain knowledge of any subject. Most of these teachers are so raw that they are not even trainable.

If they are asked to appear in a proper test in the subjects they are supposed to teach, 9 out of every 10 teachers will fail. Then why do Delhi politicians want to protect them? Answer: Politics – rather dirty politics.

While the politicians in Delhi Government headed by chief minister Arvind Kejriwal are playing dirty politics to get the services of guest teachers regularized, they want to use teachers as their political agents in schools.

By getting the services of these incompetent teachers regularized unscrupulously, the politicians want political favors in return from teachers as they can influence millions of voters – such as parents of local students.

As a journalist and social activist, I have been running major education reformation campaigns in Delhi and I have also been running a free school for poor children single-handedly (without any support) for the past about 3 years.

While politicians in Delhi Government are patting on their own backs for the school education standards, I regularly meet hundreds of students and parents who tell me that the quality of education in Delhi schools is going from bad to worse.

In order to thwart my efforts, the school teachers are intimidating students and parents who participate in the campaigns that I run to get the quality of education improved in schools. My public campaigns tend to expose the nefarious designs of teachers and politicians.

Recently, I sent a representation to Lt. Governor of Delhi, the Education Secretary / Director of Delhi Government, the Chief Minister of Delhi, and other concerned departments asking them to work seriously toward improving the education atmosphere in schools.

Representation: Poor Quality of Education in Delhi Schools
Representation: Poor Quality of Education in Delhi Schools

The Law Department of Delhi Government has forwarded my representation (Subject: Poor Quality of Education in Delhi Schools) to the Director (Education) of Delhi Government. I have given 8 specific recommendations to improve the quality of education in schools.

While I am waiting for a formal response from the Education Department, I urge the Lt. Governor of Delhi to immediately suspend the services of all teachers and ask them to appear in a professionally designed test keeping in view the job market requirements. Only those teachers should be retained who clear the test.

Earlier, I had sent the following representation to the government.


दिल्ली के स्कूलों में बढ़ते अत्याचार के ख़िलाफ़ लोगों ने उठाई आवाज़, शुरू किया हस्ताक्षर अभियान

गुरु गोविंद दोनों खड़े, काके लागूं पाँय ।
बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो मिलाय ।

यह कह कर संत कबीर ने गुरु यानि अध्यापक को भगवान से भी ऊपर का स्थान दिया था। लेकिन आज का अध्यापक भगवान नहीं बल्कि शैतान बन कर रह गया है।


आप सब को यह पता होगा कि आज देश–विदेश में यह कह कर भारत की शिक्षा प्रणाली पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि यदि भारत में शिक्षा का स्तर इतना ख़राब है तो माता–पिता अपने बच्चों को स्कूल या कॉलेज क्यों भेजते हैं।

जबकि शिक्षा का एक बडा उद्देश्य स्टूडेंट को अच्छी नौकरी के लिए तैयार करना है, भारत में शिक्षा का नौकरी से कोई सम्बन्ध नहीं है। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद जब अधिकतर लोगों को नौकरी नहीं मिलती, तब जाकर उन्हें पता चलता है कि उन्होंने अपनी जिंदगी के कई साल शिक्षा लेने में बर्बाद कर दिये।

यहाँ तक कि भारत सरकार ने अपनी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप 2016 (Draft National Education Policy, 2016) में भारत की शिक्षा व्यवस्था में इतनी कमियां बताई हैं कि कुछ लोग तो अपने बच्चों को स्कूल या कॉलेज में भेजना ही बंद कर देंगे। इसमें यह भी कहा गया है कि भारत के स्कूलों में अधिकतर शिक्षक पढ़ाने के योग्य नहीं हैं।

भारत की शिक्षा के गिरते हुए स्तर की बात अब सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में की जा रही है। उदाहरण के लिए वैश्विक मानव विकास सूचकांक (एच.डी.आई.) – Global Human Development Index (HDI) – में भारत का स्थान विशव में बहुत नीचे यानि 131 नंबर पर आता है – जो एक चिंता का विषय है। बहुत से छोटे और गरीब देशों में भी शिक्षा व्यवस्था भारत से बहुत अच्छी है।

दिल्ली के स्कूलों में शिक्षा का गिरता हुआ स्तर

इस शिक्षा प्रणाली में गिरते हुए स्तर का सबसे बड़ा उदाहरण हमें दिल्ली के स्कूलों में मिलता है जहाँ शिक्षा के निरंतर बिगड़ते हालात को सुधारने की बजाय स्कूलों में अध्यापक एक तरह से बच्चों और उनके माता-पिता पर अत्याचार कर रहे हैं।

हालाँकि राजनीतिक चालबाज़ी करनेवाले नेता दिल्ली की शिक्षा के बारे में झूठे दावे कर रहे हैं, सच्चाई यह है कि स्कूल की बिल्डिंग और स्कूल के कमरों को शिक्षा में सुधार कह कर बताया जा रहा है जबकि इन कमरों में शिक्षा का नामों-निशान तक नहीं। टीचरों का तो इतना बुरा हाल है कि सीधे-सीधे शब्दों में कहना कठिन है।

जब स्टूडेंट्स और उनके माता-पिता शिक्षा में सुधार की बात करते हैं तो स्कूल टीचर उन्हें डराते और धमकाते हैं या फिर स्कूल में अच्छी तरह पढ़ाने की बजाय उन्हें प्राइवेट ट्यूशन पढ़ने के लिए मजबूर करते हैं। लोग पूछ रहे हैं कि यदि बच्चों ने प्राइवेट ट्यूशन से पढ़ना है तो सरकार अध्यापकों को किस बात के पैसे देती है। यह तो सरकारी धन का दुरूपयोग है।

लोगों का यह भी मानना है कि अध्यापकों का ऐसा चाल-चलन एक सामाजिक बुराई ही नहीं बल्कि एक अपराध है जिसे सिर्फ कानूनी रूप से हल किया जा सकता है और दिल्ली सरकार को कार्रवाई करके ऐसे सभी अध्यापकों को नौकरी से तुरंत निकाल देना चाहिए।

बेईमान अध्यापक

तो क्यों है दिल्ली की शिक्षा का बुरा हाल? वैसे तो हम इसके कई कारण गिन सकते हैं। लेकिन दिल्ली की शिक्षा के सर्वनाश में सब से बड़ा हाथ है स्कूल टीचरों या अध्यापकों का जो भ्रष्टाचार और बेईमानी की एक जिन्दा मिसाल हैं।

जब विद्यार्थियों की स्कूल की शिक्षा ख़राब होगी तो उनकी कॉलेज की या आगे की पढ़ाई कभी ठीक नहीं हो सकती। सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में टीचरों का एक सा ही बुरा हाल है।

आज दिल्ली के स्कूल – स्कूल नहीं बल्कि भ्रष्टाचार के ट्रेनिंग सेंटर की तरह चल रहे हैं। टीचर (अध्यापक) क्लास में आते नहीं, जो आते हैं वो पढ़ाते नहीं। बहुत से टीचर पढ़ा सकते नहीं क्योंकि उन्हें पढ़ाना आता नहीं। परीक्षा में टीचर स्टूडेंट्स को नक़ल खुद करवाते हैं।

और क्लास में पढ़ाने की बजाय टीचर बच्चों को प्राइवेट ट्यूशन पढ़ने के लिए कहते हैं जो एक अपराध ही नहीं बल्कि एक समाजिक बुराई भी है। अगर स्टूडेंट्स ने प्राइवेट ट्यूशन ही पढ़नी है तो स्कूल टीचरों को किस बात के पैसे मिल रहे हैं? यह टीचरों का भ्रष्टाचार नहीं तो और क्या है? जो टीचर स्टूडेंट्स को नक़ल करके पास करवाते हैं वह चोरी नहीं तो और क्या है?

बहुत से स्कूल टीचरों का तो इतना बुरा हाल है कि उन्हें कुछ सिखाया भी नहीं जा सकता। ऐसे लगता है कि वे पाषाण युग (Stone Age) से सीधे आधुनिक युग (modern world) में आ गए हैं। उनको यह भी पता नहीं है कि स्कूलों में पाठ्यक्रम (syllabus) और किताबें इतनी पुरानी और दिशाहीन हैं कि वह विद्यार्थी को नौकरी लेने में काम नहीं आएंगे।

हालाँकि सरकार स्कूल टीचरों के प्रशिक्षण पर करोड़ों रुपया खर्च करती है, लेकिन यह सब सरकारी पैसे की बर्बादी है। ऐसा समझ लीजिए कि एक गधे को गीत गाना तो सिखाया जा सकता है, लेकिन एक स्कूल टीचर को आधुनिक शिक्षा नहीं दी जा सकती। कृपया इस गधे वाली बात का कोई गल्त मतलब न निकालिएगा, यह सिर्फ एक उदहारण है।

बहुत से सरकारी स्कूल टीचरों को पता है कि उनके स्कूल की पढ़ाई और माहौल बिल्कुल ख़राब है। लेकिन वे इतने बेईमान हैं कि वे अपनी नौकरी के पैसे तो सरकार से लेते हैं परन्तु अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाते हैं – हालाँकि प्राइवेट स्कूलों की हालत भी ख़राब है।

टीचरों की क्रूरता

टीचरों की क्रूरता और आतंक का कहर उस वक़्त और भी बढ़ जाता है जब वे क्लास में सवाल पूछने पर बेचारे बच्चों या विद्यार्थियों को या तो ऊँची आवाज़ में डराते और धमकाते हैं या उन्हें मारते–पीटते हैं।

उसके बाद बच्चा इतना डर जाता है कि क्लास में कभी सवाल नहीं पूछता। ऐसा डरा हुआ बच्चा मानसिक रोगों का शिकार हो जाता है और अपनी पूरी जिंदगी में न तो कुछ सीख पाता है और न ही कुछ अच्छा काम कर पाता है।

यहाँ यह बताना आवश्यक है कि भारत के कानून के मुताबिक, स्कूल में टीचर बच्चों को ऐसी कोई सज़ा नहीं दे सकते जिससे बच्चों को कोई शारीरिक या मानसिक पीड़ा हो। यदि टीचर ऐसा करते हैं तो वह एक कानूनन अपराध माना जाता है जिससे टीचरों की नौकरी भी जा सकती है।

Students of a government school in Delhi cross high walls and barbed wires to abscond from the school. Teachers have no control on students. Click the photo to read the full report. Photo by Rakesh Raman
Students of a government school in Delhi cross high walls and barbed wires to abscond from the school. Teachers have no control on students. Click the photo to read the full report. Photo by Rakesh Raman

लेकिन स्कूल के बच्चों और उनके माता–पिता को टीचरों ने इस तरह डराया हुआ है कि वे इन टीचरों के आतंक और स्कूल में और कमियों के बारे में कहीं शिकायत नहीं कर पाते। एक तरह से टीचरों ने बच्चों और उनके माता–पिता की आवाज़ को दबा दिया है जो एक मानव अधिकारों का  उल्लंघन (human rights violation) माना जाएगा।

अगर कोई शिकायत करने की कोशिश करता है तो स्कूल टीचर उसको अनसुना कर देते हैं और यदि कोई लिख कर शिकायत करने की सोचता है तो स्कूलों में जान–बूझकर ऐसा कोई प्रबंध नहीं किया गया जहाँ शिकायत को औपचारिक रूप से स्वीकार किया जाए। स्कूलों में हर कदम पर धोखा है।

क्योंकिं मैं भारत की राजधानी दिल्ली में ग़रीब बच्चों के लिए एक मुफ़्त शिक्षा का स्कूल (free school for desrving children) चलाता हुँ, मैं ऐसे कई दुखी बच्चों और उनके माता–पिता को रोज़ मिलता हुँ जो अपनी आवाज़ स्कूल या सरकार तक नहीं पहुंचा सकते।

लोगों ने मिलकर उठाई आवाज़

हाल ही में दिल्ली में द्वारका के एक स्कूल के स्टूडेंट्स और माता-पिता ने सामूहिक रूप से पत्र लिख कर प्रिंसिपल को शिक्षा प्रणाली में सुधार करने की मांग की। लेकिन दुख की बात है कि उनकी बात सुनने की बजाय स्कूल के अध्यापकों ने स्टूडेंट्स और उनके माता-पिता को ऐसी मांग करने के लिए डराना शुरू कर दिया है और उन्हें प्राइवेट ट्यूशन पढ़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

RMN Foundation – जो स्टूडेंट्स को मुफ्त आधुनिक शिक्षा देने के लिए करीब तीन साल से बिना किसी सहयोग के दिल्ली में एक स्कूल चला रहा है – इस मामले में स्टूडेंट्स को उनका शिक्षा का अधिकार दिलवाने की कोशिश कर रहा है। और अब RMN Foundation ने स्टूडेंट्स और माता-पिता के सहयोग से इस अभियान को दिल्ली के और भी स्कूलों में ले जाना शुरू कर दिया है ताकि सरकार की आँखें खुलें और वह शिक्षा प्रणाली में सुधार के साथ-साथ बेईमान टीचरों को जल्दी से नौकरी से निकाले।

आप दिल्ली के द्वारका स्कूल का केस नीचे पढ़ सकते हैं।


दिल्ली स्कूल स्टूडेंट्स और माता-पिता का पत्र प्रिंसिपल को – शिक्षा प्रणाली में सुधार करो

दिल्ली के स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों स्टूडेंट्स और उनके माता-पिता स्कूल में पढ़ाई की बिगड़ती हालत से इतने चिंतित हैं कि रात–रात भर सो नहीं सकते। लोगों का मानना है कि दिल्ली सरकार शिक्षा प्रणाली में सुधार करने की बजाय स्कूलों में कमरे बढ़ाती जा रही है।

पिछले दो साल में RMN Foundation हज़ारों स्टूडेंट्स और उनके माता-पिता से मिलने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि दिल्ली के स्कूलों में शिक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है और सरकार हाथ पर हाथ रख कर बैठी हुई है। इसलिए स्टूडेंट्स और उनके माता-पिता की चिंता और भी बढ़ गई है।

इसीलिए करीब तीन महीने पहले दिल्ली के एक स्कूल की सैंकड़ों छात्राओं और स्टूडेंट्स के माता-पिता ने एक सिगनेचर कैंपेन करके स्कूल प्रिंसिपल को शिक्षा प्रणाली में सुधार करने के लिए एक पत्र लिखा जिसे RMN Foundation ने स्पीड पोस्ट से प्रिंसिपल को भेजा। हालाँकि स्कूल प्रिंसिपल को जवाब के लिए 15 दिन का समय दिया गया और November 7, 2017 तक जवाब माँगा गया। लेकिन प्रिंसिपल और टीचरों के लिए शायद यह विषय महत्वपूर्ण नहीं है। प्रिंसिपल ने कोई उचित जवाब नहीं दिया।

आप स्टूडेंट्स और माता-पिता का पत्र और RMN Foundation का पत्र नीचे पढ़ सकते हैं। RMN Foundation इस पत्र के बारे में और दिल्ली के स्कूलों में शिक्षा प्रणाली में सुधार के बारे में जल्दी ही अपना अगला प्रोग्राम घोषित करेगा। दिल्ली के सब स्कूल स्टूडेंट्स और उनके माता-पिता से अनुरोध है कि वे शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए RMN Foundation को सहयोग दें। धन्यवाद।


सेवा में,

श्रीमती प्रधानाचार्या जी (The Principal)

राजकिय उच्चतर कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय

सेक्टर – 3, फेज – 3, द्वारका, नई दिल्ली – 110 078

विष्य: शिक्षा का गिरता हुआ स्तर और उसमें सुधार का सुझाव

अगस्त 8, 2017

महोदया,

हम आपके स्कूल की छात्राएं हैं। इस पत्र के द्वारा हम आपसे स्कूल की शिक्षा प्रणाली में पूरी तरह से सुधार करने का अनुरोध कर रही हैं | जब हम अपने चारों ओर देखती हैं तो स्कूल की शिक्षा के बाद अंधेरा ही अंधेरा दिखाई देता है। स्कूल की पढ़ाई के बाद कॉलेज में दाख़िला बहुत मुश्किल या असंभव है। कॉलेज की पढ़ाई खत्म करने के बाद भी नौकरी नहीं है क्योंकि स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई इतनी दिशाहीन है कि यह हमें  एक अच्छी नौकरी करने के योग्य नहीं बना सकती।

शिक्षा का गिरता स्तर

स्कूल का पाठ्यक्रम इतना पुराना और घिसा–पिटा है कि उसे पढ़ने के बाद भी स्टूडेंट अनपढ़ ही माना जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि पिछले 30 साल में भारत में कोई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति नहीं बनी। पिछली राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में बनी थी। भारत की शिक्षा के गिरते हुए स्तर की बात अब सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में की जा रही है। उदाहरण के लिए वैश्विक मानव विकास सूचकांक (एच.डी.आई.) – Global Human Development Index (HDI) – में भारत का स्थान विश्व में बहुत नीचे यानि 130 नंबर पर आता है – जो एक चिंता का विषय है।

यहाँ तक कि भारत सरकार ने अपनी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप 2016 (Draft National Education Policy, 2016) में भारत की शिक्षा व्यवस्था में इतनी कमियाँ बताई हैं कि कुछ लोग तो अपने बच्चों को स्कूल या कॉलेज में भेजना ही बंद कर देंगे। जो विषय हमें स्कूल में पढ़ाए जाते हैं, वे नौकरी लेने में सहायक नहीं हैं। सरकारी नौकरियाँ न के बराबर हैं। बढ़ी कंपनियों में नौकरियाँ हैं लेकिन उन नौकरियों के लिए आधुनिक पढ़ाई चाहिए जो आम स्कूल और कॉलेज नहीं दे रहे। आज के आधुनिक युग में नौकरी के लिए डिग्री से ज्यादा कौशल और योग्यता की जरूरत है। लेकिन ऐसा कौशल और योग्यता हमारी पढ़ाई का हिस्सा नहीं है। इसका परिणाम यह है कि जिसके पास डिग्री है, उसके पास नौकरी नहीं और जिसने नौकरी देनी है उसे योग्य लोग नहीं मिल रहे।

टीचर सिर्फ क्लास में आकर और इधर-उधर की बातें कर के अपने घर वापिस चले जाते हैं। उन्होंने न तो कभी इस पुरानी शिक्षा का हमारे कैरियर में महत्व समझाया और न ही इस पुरानी शिक्षा को बदलने की कोशिश की। इसका परिणाम यह है कि आज डिग्री वाले बेरोजगारों की संख्या बढ़ती जा रही है और बेरोज़गारी एक ख़तरनाक बीमारी की तरह फैली हुई है। हालाँकि टीचर की यह ज़िम्मेदारी है की वह स्टूडेंट्स का कैरियर पाथ (career path) बनाए, लेकिन ऐसा किसी भी टीचर ने नहीं किया। इसका कारण यह है कि टीचरों को शायद खुद ही आधुनिक शिक्षा प्रणाली और कैरियर में उसके महत्व का ज्ञान नहीं है। तो कौन बताएगा हमें हमारे कैरियर के बारे में?

शिक्षा प्रणाली में सुधार

शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए हमारा सुझाव है कि आप पाँचवी कक्षा तक बच्चों को इंग्लिश, हिंदी, गणित, और कंप्यूटर की आधुनिक शिक्षा दें। केवल उन्हीं बच्चों को अगली कक्षा में करें जो परीक्षा पास करें। पाँचवी कक्षा के बाद शिक्षा को तीन भागों में बाँट दें। यह भाग हैं – आर्ट्स (Arts), कॉमर्स (Commerce), और स्टेम (STEM – Science, Technology, Engineering, and Math).

छठी कक्षा से दसवीं कक्षा तक बच्चों को उनकी योग्यता के अनुसार इन तीन में से किसी एक भाग में शिक्षा दें। उसके बाद दो साल इसी शिक्षा को नौकरी में उपयोग के लिए प्रायोगिक ट्रेनिंग दें। केवल उन्हीं बच्चों को अगली कक्षा में करें जो परीक्षा नक़ल से नहीं बल्कि अपनी योग्यता से पास करें। ऐसी नई शिक्षा प्रणाली के लिए नये अध्यापकों की आवश्यकता होगी जो स्टूडेंट्स को आधुनिक शिक्षा दे सकें। पुराने अध्यापकों को बदल कर स्कूल में नये अध्यापक रखने होंगे जिनकी सैलरी (salary) उनकी योग्यता और स्टूडेंट्स के परिणाम पर निर्भर होगी।

इस नई शिक्षा प्रणाली को लागू करने के लिए आप जल्दी से सरकार में भी बात करें। और जब तक यह नई शिक्षा प्रणाली लागू नहीं हो जाती, हमें पुराने पाठ्यक्रम से पढ़ाना बंद करें ताकि हम अपना समय स्कूल के बाहर आधुनिक वैकल्पिक पढ़ाई (modern alternative education) में उपयोग कर सकें।

इस बारे में आप अपना निर्णय सार्वजनिक और औपचारिक रूप से तुरंत स्कूल में घोषित करें।

धन्यवाद

आपके स्कूल की छात्राएं – अगस्त 8, 2017


बच्चों के माता-पिता का पत्र

शिक्षा का गिरता हुआ स्तर और उसमें सुधार का सुझाव

जैसा कि स्कूल की छात्राएं अपने अगस्त 8, 2017 के पत्र में कह रही हैं, हम बच्चों के माता-पिता उससे पूरी तरह से सहमत हैं। आज की स्कूल की पढ़ाई हमारे बच्चों के किसी काम नहीं आ रही। इसलिए शिक्षा प्रणाली में पूरी तरह से सुधार करके उसे तुरंत आधुनिक बनाया जाए ताकि नयी शिक्षा हमारे बच्चों को अच्छा इंसान बना सके और उन्हें अपनी जीविका कमाने और अच्छी नौकरी लेने में सहायता कर सके।

बच्चों के माता-पिता अगस्त 8, 2017


Letter from RMN Foundation to Principal

To

The Principal / Vice Principal
Government Girls Senior Secondary School
Site – 1, Sector 3, Phase III, Dwarka
New Delhi 110 078

Kind Attention: Ms. Usha Gupta, Vice Principal

October 23, 2017

Subject: Representation from students and parents to improve the education system in your school

Dear Madam,

I am a journalist and social activist. At present – along with my editorial work – I run a humanitarian organization RMN Foundation. This is about the enclosed 8-page representation – signed by hundreds of students and parents – which urges you to improve the quality of education in your school.

In this representation, the complainants have raised a number of critical issues that you need to address immediately. According to the students, the current quality of education is so bad that it is depriving them of their fundamental right to good education. They also complain that teachers in your school are not fully qualified to teach any subject that is required in the contemporary job market. They have urged you to replace all such teachers with properly educated teachers.

Students and their parents observe that in the current system there is no connection between education and students’ employability. And instead of taking steps to overhaul the education paradigm, teachers – who are mostly incompetent – are blindly following obsolete education models. Teachers never tried to set the career paths of students in order to make them employable while the ongoing archaic education is not useful for them.

In their representation, the students also have suggested a few remedial steps that you can take immediately. If you think you are not in a position to improve the education system in your school to the the entire satisfaction of the aggrieved students and parents, you should formally escalate their concerns to the higher authorities in the Education Department or the Delhi Government.

You are requested to take these remedial steps immediately because all your school teachers are being paid with public money. If your services are not acceptable to students and parents, you are not supposed to be holding your jobs.

In response to the enclosed representation, you are expected to:

  1. Create a new syllabus for your school students in different classes in consultation with the top employers in the contemporary job market.
  2. Create a suitable test for all the teachers in your school keeping in view the new syllabus and subjects that they are supposed to teach. If the teachers are not able to clear the test, you should recommend the termination of their services.
  3. Create the career path – along with the employment probability – of each student in different streams of education that you would impart in the new system.

You are also requested to send me your response – including the steps that you have taken to address the above issues – at the address given below within 15 days of receiving this letter. If the students and parents are not satisfied with your response, RMN Foundation will have to seek the right administrative and / or legal remedy to get necessary changes, including replacement of teachers, in your school and for which you will be personally responsible as the head of the school.

Important Note: Some students and parents who are participating in this education reform campaign fear that they may be threatened by you, the teachers, or others in your school for raising their voice against the dwindling education system. You are requested to take full precautions so that students’ and parents’ right to dissent is fully protected and they should not be intimidated or harmed covertly or overtly for participating in this or any future campaign against the flawed education system.

Request you to send me your response within 15 days – latest by November 7, 2017.

Regards

Rakesh Raman
Founder
RMN Foundation
463, DPS Apts., Plot No. 16, Sector 4
Dwarka, Phase I, New Delhi 110 078

Enclosed: 8-page representation signed by students and parents

RMN Foundation is a not-for-profit organization that offers free modern education to deserving children. It is an educational and public charitable Trust registered with the Government of National Capital Territory of Delhi at New Delhi, India. Website: www.rmnfoundation.org


Although RMN Foundation had sent the above case of Dwarka school to the Education Department of Delhi Government in order to get justice for students and parents, Delhi Government – as it was expected – simply ignored the public concerns.

So, now RMN Foundation has decided to extend this education reformation campaign in more schools of Delhi.

All students, parents, and teachers in Delhi are requested to support this endeavour which is aimed to suitably educate the students in order to help them lead a clean and prosperous life.

As part of the new signature campaign, the following letter is being circulated in different schools of Delhi.


Signatures of Students

दिल्ली में शिक्षा का गिरता हुआ स्तर और उसमें सुधार का सुझाव

ऐसी पढ़ाई का कोई फायदा नहीं जो हमें अच्छी नौकरी न दे सके।

हम सब दिल्ली के स्टूडेंट स्कूल में पढ़ाई की बिगड़ती हालत से इतने चिंतित हैं कि रात–रात भर सो नहीं सकते। स्कूल की पढ़ाई इतनी बेकार है कि हमारे भविष्य में काम नहीं आएगी। स्कूल का पाठ्यक्रम इतना पुराना और घिसा–पिटा है कि उसे पढ़ने के बाद भी स्टूडेंट अनपढ़ ही माना जाता है।

स्कूल टीचर क्लास में पढ़ाने की बजाए बच्चों को प्राइवेट ट्यूशन के दलदल में धकेल देते हैं। स्कूल और ट्यूशन के बाद भी जो स्टूडेंट दसवीं (10th) या बारहवीं (12th) क्लास भी पास कर लेता है उसे पहली क्लास की पढ़ाई भी नहीं आती। ऐसे दसवीं और बारहवीं तक के स्टूडेंट न तो अच्छी तरह हिंदी भाषा जानते हैं न गणित। और इंग्लिश भाषा में तो बहुत ही बुरा हाल है। कुछ तो ठीक तरह से बोल भी नहीं पाते। क्या यह है पढ़ाई?

स्कूल की पढ़ाई के बाद कॉलेज में दाखिला बहुत मुश्किल या असंभव है। कॉलेज की पढ़ाई खत्म करने के बाद भी नौकरी नहीं है क्योंकि स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई इतनी दिशाहीन है कि यह हमें एक अच्छी नौकरी करने के योग्य नहीं बना सकती। इसका परिणाम यह है कि आज डिग्री वाले बेरोजगारों की संख्या बढ़ती जा रही है और बेरोज़गारी एक ख़तरनाक बीमारी की तरह फैली हुई है।

यहाँ तक कि भारत सरकार ने अपनी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप 2016 (Draft National Education Policy, 2016) में भारत की शिक्षा व्यवस्था में इतनी कमियाँ बताई हैं कि कुछ लोग तो अपने बच्चों को स्कूल या कॉलेज में भेजना ही बंद कर देंगे। जो विषय हमें स्कूल में पढ़ाए जाते हैं, वे नौकरी लेने में सहायक नहीं हैं। सरकारी नौकरियाँ न के बराबर हैं। बढ़ी कंपनियों में नौकरियाँ हैं लेकिन उन नौकरियों के लिए आधुनिक पढ़ाई चाहिए जो आम स्कूल और कॉलेज नहीं दे रहे।

आज के आधुनिक युग में नौकरी के लिए डिग्री से ज्यादा कौशल और योग्यता की जरूरत है। लेकिन ऐसा कौशल और योग्यता हमारी पढ़ाई का हिस्सा नहीं है। इसका परिणाम यह है कि जिसके पास डिग्री है, उसके पास नौकरी नहीं और जिसने नौकरी देनी है उसे योग्य लोग नहीं मिल रहे।

इसलिए हमारा स्कूल टीचरों और सरकार से अनुरोध है कि वे जल्दी से सारा पाठ्यक्रम और पढ़ाई का तरीका इस तरह से बदलें कि वह हमें नौकरी लेने में सहायक हो। इसी तरह स्कूल में टीचर भी वे रखे जाएं जो आधुनिक शिक्षा के बारे में पूरी तरह से जानते हों और हमें वैसा ही पढ़ाएं जो हमें अच्छी नौकरी लेने या अच्छा काम करने में सहायक हो। धन्यवाद।

( Signature campaign started in November 2017 )

स्टूडेंट का नाम स्कूल का नाम और पता क्लास / रोल नंबर सिगनेचर

Signatures of Parents

दिल्ली में शिक्षा का गिरता हुआ स्तर और उसमें सुधार का सुझाव

ऐसी पढ़ाई का कोई फायदा नहीं जो हमें अच्छी नौकरी न दे सके।

( Signature campaign started in November 2017 )

आज की स्कूल की पढ़ाई हमारे बच्चों के किसी काम नहीं आ रही। इसलिए शिक्षा प्रणाली में पूरी तरह से सुधार करके उसे तुरंत आधुनिक बनाया जाए ताकि नयी शिक्षा हमारे बच्चों को अच्छा इंसान बना सके और उन्हें अपनी जीविका कमाने और अच्छी नौकरी लेने में सहायता कर सके।

बच्चों के माता-पिता – Parents

नाम घर का पता   मोबाइल नंबर सिगनेचर

You can click here to download the above forms for signatures.

Recommendations from the Campaign

  1. Delhi Government should create new syllabuses for different subjects keeping in view the contemporary job market requirements.
  2. New books should be developed based on the new syllabuses. Besides covering subjects, these books should also include pedagogical instructions for teachers.
  3. Delhi Government should immediately launch a new “teacher eligibility program” in order to assess the employed  teachers’ suitability in the modern education ecosystem.
  4. Teachers should be asked to appear in a properly designed test covering different subjects. Only those teachers should be retained who clear the test comprehensively. The services of failed teachers must be terminated.
  5. The salary of new teachers should be based on the performance of their students in the class and in the job market.
  6. The services of teachers who ask students to attend private tuitions must be terminated.
  7. Delhi Government should create a special cell to handle each and every complaint from students or parents. Depending on the complaint, the services of teachers must be suspended before initiating legal proceedings against them.
  8. Retired teachers – most of whom are clueless about the modern education systems – should never be appointed as teachers.

About Me

I am a government’s National award-winning journalist and social activist. Besides working at senior editorial positions with India’s leading media companies, I had been writing an edit-page column for The Financial Express, a business newspaper of the Indian Express group.

Nowadays, for the past about 7 years, I have been running my own global news services on different subjects. I also have formed an environment-protection group called Green Group in Delhi. And I run a free school to provide modern education to  deserving children under my NGO – RMN Foundation.

I also manage a community-driven online editorial section under the banner “Clean House” to report about corruption and other illegal activities happening in Delhi’s cooperative group housing societies where millions of people live.

Earlier, I had been associated with the United Nations (UN) through United Nations Industrial Development Organization (UNIDO) as a digital media expert to help businesses use technology for brand marketing and business development.

I keep my mobile phone switched off. You may please contact me on my email.

Thanking You

Rakesh Raman

463, DPS Apts., Plot No. 16, Sector 4
Dwarka, Phase I, New Delhi 110 078
INDIA

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Rakesh Raman