भारतीय जनतांत्रिक क्रांति: आओ मिल कर करें एक नये और समृद्ध भारत का निर्माण

Voters waiting at a polling booth in India. Photo: PIB (Representational Image)
Voters waiting at a polling booth in India. Photo: PIB (Representational Image)

भारतीय जनतांत्रिक क्रांति: आओ मिल कर करें एक नये और समृद्ध भारत का निर्माण 

यदि आप भी भारत की राजनीतिक प्रणाली में सुधार देखना चाहते हैं, तो आप भारतीय जनतांत्रिक क्रांति (Indian Democratic Revolution) में शामिल हो सकते हैं और अपने विचार प्रकट कर सकते हैं।

By Rakesh Raman

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। मेरा देश के सभी लोगों से – खास कर युवक और युवतियों से – अनुरोध है कि वे किसी भी राजनितिक दल या उसके नेता के फैन या अंधभक्त न बनें क्योंकि यह सब मिलकर आपको पिछले क़रीब 75 साल से लूट रहे हैं।

भारत में अधिकतर राजनितिक नेता इतने अनपढ़ और असभ्य हैं कि वे किसी भी पद के योग्य नहीं। लेकिन जहाँ हम जैसे आम नागरिकों को अच्छा पढ़-लिख कर और पढ़ाई की डिग्रियां ले कर भी नौकरी नहीं मिलती, ये अशिक्षित नेता पहले झूठे भाषण दे कर चुनाव जीतते हैँ, फिर ये हम पर राज करते हैं और हम जैसे आम लोगों के साथ गुलामों जैसा बरताव करते हैं।

आज के आधुनिक युग में एक छोटी सी नौकरी के लिए भी उस नौकरी से जुड़ी योग्यता और डोमेन विशेषज्ञता (domain expertise) चाहिए। तो फिर ये अनपढ़ और अयोग्य नेता पूरे देश का शासन प्रबंध कैसे कर सकते हैं? नहीं कर सकते, और ये मिलकर सिर्फ सरकारी धन का दुरुपयोग करते हैं और जनता का पैसा अपनी विलासिता पर उड़ाते हैं। इन नेतायों की कोई जवाबदेही नहीं है। इसीलिए अभी तक भारत एक अविकसित देश है।

भारत के नेतायों का बौद्धिक स्तर इतना कमज़ोर है कि यदि वे अपने झूठ, फ़रेब, या आपराधिक रिकॉर्ड के कारण राजनिति में न होते तो वे कोई काम न कर पाते और भूखे मर जाते। लेकिन यहाँ की गन्दी राजनिति इनके सभी काले कारनामों को छुपा कर इन्हें ऊँचे पदों पर पहुँचा देती है और देश में मंत्री तक बना देती है।

वैसे तो इन नेतायों में से कोई भी किसी काम के योग्य नहीं, लेकिन यह जानकार हमारा दुःख और भी बढ़ जाता है कि जिसकी पढ़ाई की डिग्री भी नकली है, वह भी यहाँ राजा बना बैठा है और देश-विदेश में घूम कर अत्यधिक बौद्धिक विषयों पर झूठे और रटे-रटाए भाषण देता है और बेचारी जनता का पैसा अपने सैर-सपाटे पर उड़ाता है।

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यही नहीं, यह देख कर हमारा आश्चर्य और भी बढ़ जाता है जब भारत में शिक्षा मंत्री भी अशिक्षित होता है और पुरे देश की शिक्षा निति बनाता है और उस नीति से विद्यार्थियों का सिर्फ नुकसान ही होता है। कई नेता तो जनता का चुनाव जीते बिना ही मंत्री बन जाते हैं। यहाँ सब ग़लत और उल्टा-पुल्टा चल रहा है।

यह सब झूठे, धोखेबाज़, और अयोग्य नेता मिल कर योग्य लोगों का शोषण कर रहे हैं और योग्यता को कुचल रहे हैं। भारत की राजनितिक प्रणाली में इतनी कमियां हैं कि यह झूठ और अयोग्यता को बढ़ा रही है और ऐसे झूठे, धोखेबाज़, और अयोग्य नेतायों की संख्या बढ़ती जा रही है।

अब भारत के आम लोगों के लिए ख़तरा और भी बढ़ता जा रहा है क्योंकि अब इन झूठे नेतायों के बच्चे और दूसरे रिश्तेदार भी वंशवाद को आगे बढ़ाते हुए राजनिति में शामिल होते जा रहे हैं, जबकि योग्य लोगों के लिए कोई स्थान नहीं है।

सरकार बनाने के बाद ये झूठे नेता और मंत्री अपने कामों के बारे में इस नाटकीय ढँग से बताते हैं कि आम लोगों को इनका झूठ भी सच लगने लगता है। जो यह सारे नेता अख़बारों में या टीवी पर कहते हैं, वह सब झूठ है। जो यह अपनी सफ़लता के आंकड़े देते हैं या योजनायों की घोषणा करते हैं, वह भी झूठ है। भारत का मीडिया इनके नियंत्रण में है।

आपको मुर्ख बनाया जा रहा है ताकि आप इन्हें वोट डालते रहें। और इन झूठे नेतायों के झूठे भाषणों से सिर्फ अशिक्षित और कमज़ोर लोग ही प्रभावित होते हैं और इन्हें वोट डालते हैं। दुःख की बात यह है कि ऐसे अशिक्षित और कमज़ोर लोगों से भारत भरा हुआ है।

यदि आप चुनाव विश्लेषण करें तो आप जान जाएंगे कि अधिकतर शिक्षित और समझदार लोग चुनावों में वोट नहीं डालते। सिर्फ अशिक्षित, कमज़ोर, और ग़रीब लोग ही वोट डालते हैं क्योंकि राजनितिक पार्टियाँ ऐसे लोगों के वोट अपने काले धन से ख़रीद लेती हैं या उन्हें झूठे वायदों से मुर्ख बना देती हैं। फ़िर पांच साल इनका क़हर उन देशवासियों को भी सहना पड़ता है जिन्होंने कभी वोट डाला ही नहीं।

चुनाव जीतने के बाद पांच साल ये बेईमान नेता अँधा-धुंध जनता का पैसा बर्बाद करते हैं, भरष्टाचार से अपने लिए पैसा बनाते हैं, और जनता को बिल्कुल भूल जाते हैं। बेचारी जनता ग़रीबी और लाचारी की हालत में तड़पती रहती है लेकिन इन बेईमान नेतायों को कुर्सी से उतार नहीं सकती।

भारत में नौकरशाह (bureaucrats) भी इतने अयोग्य, लालची, और लाचार हैं कि वे बेईमान नेतायों और मंत्रीयों की गुलामी करते हैं और जनता की भलाई के लिए कुछ भी नहीं करते। जनता की दुःख भरी आवाज़ न तो नेता और मंत्री सुनते हैं और न ही नौकरशाह।

जब लोग इनके अन्याय से बुरी तरह पीड़ित होते हैं तो कोर्ट या न्यायालय में जाते हैं। लेकिन भारत में कोर्ट जिस तरह से काम करते हैं उसके बारे में जितना कम कहा जाए उतना ही अच्छा है। जो लोग सरकार के अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाते हैं उन्हें झूठे केसों में फँसा कर जेल में डाल दिया जाता है। यही पिछले क़रीब 75 साल से भारत में हो रहा है और जनता के दुःख बढ़ते जा रहे हैं।

यह सब पढ़ कर आपको यह तो लगता होगा कि अभी भारत आज़ाद नहीं है और हम अभी भी यहाँ गुलामों की तरह ही रह रहे हैं। जो मैं कह रहा हुँ उसकी सच्चाई आप हर रोज़ अपने इर्दगिर्द देख सकते हो। आपके लिए न कहीं नौकरी है न ही अच्छी पढ़ाई है। आपके चारों तरफ़ गंद, महंगाई, भ्रष्टाचार, भूख, बीमारी, अपराध, और तनाव का माहौल है।

यही नहीं, बल्कि आपको आपके धर्म, जाति, रंग, और खाने-पीने के तरीकों को लेकर एक दूसरे से लड़ाया जा रहा है। आप आपस में जितना लड़ेंगे उतना इन राजनितिक भेडियों को फायदा है क्योंकि आप अपनी आपस की लड़ाई में सरकारी और राजनितिक अत्याचार को भूल जाते हैं और उसके विरुद्ध आवाज़ नहीं उठाते।

मेरा आप से यह अनुरोध है कि आप इन नेतायों की वज़ह से न तो देश की गलियों में और न ही फेसबुक या टवीटर पर एक दूसरे से लड़ें। और मिलकर एक अच्छे और समृद्ध भारत का निर्माण करने की सोचें – ऐसा भारत जहाँ अनपढ़, झूठे, और धोखेबाज़ नेतायों के लिए कोई जगह न हो। भारत में जिस प्रकार से जनतंत्र (democracy) के नाम पर मानवता को कुचला जा रहा है, वह तानाशाही से भी ख़तरनाक है। लोकतंत्रीय प्रणाली पूरी तरह से फेल हो चुकी है।

अब भारत में एक बिल्कुल नई राजनीतिक प्रणाली की आवश्यकता है। ऐसी प्रणाली जहाँ मानव समानता हो और हर सरकारी और राजनितिक पद झूठे भाषणों की वज़ह से नहीं बल्कि एक व्यक्ति की शैक्षिक और बौद्धिक योग्यता के अनुसार दिया जाए। आओ मिल कर ऐसी राजनीतिक प्रणाली का निर्माण करें। यह संभव है।

यदि आप भी भारत की राजनीतिक प्रणाली में सुधार देखना चाहते हैं, तो आप भारतीय जनतांत्रिक क्रांति (Indian Democratic Revolution) में शामिल हो सकते हैं और अपने विचार प्रकट कर सकते हैं।

और जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें। जय हिन्द।

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