चमेली की पढ़ाई बताए दिल्ली के स्कूलों की सच्चाई

RMN Foundation has started presenting a street play - चमेली की पढ़ाई - from April 2018 as part of its education awareness campaign in New Delhi. Click the photo to know the details.
RMN Foundation has started presenting a street play – चमेली की पढ़ाई – from April 2018 as part of its education awareness campaign in New Delhi. Click the photo to know the details.

आज दिल्ली के नेता झूठ पर झूठ बोले जा रहे हैं और दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की बिगड़ती हालत की सच्चाई छिपा रहे हैं।सच यह है कि बेकार पढ़ाई के कारण लाखों बच्चों की जिंदगी बर्बाद हो रही है।

RMN Foundation ने एक नाटक – चमेली की पढ़ाई – शुरू किया है । यह नाटक दिल्ली में अलग-अलग जगह पर किया जा रहा है । इस नाटक की नायिका चमेली बताती है कि कैसे स्कूल की ख़राब पढ़ाई ने उसकी जिंदगी बर्बाद कर दी है ।

By Rakesh Raman

वैसे तो हम सब जानते हैं कि भारत की राजनीति में एक नेता का झूठा होना अत्यंत आवश्यक है।और यदि वह नेता फ़रेबी और धोखेबाज़ भी है तो उसकी सफलता निश्चित है।दिल्ली की आम आदमी पार्टी का नेता मनीष सीसोदिआ एक ऐसा ही सफल नेता है जो थोड़े ही समय में शिक्षा मंत्री बन बैठा है।इसे एक इत्तिफाक़ ही समझिये कि भारत में शिक्षा मंत्री अक्सर अशिक्षित होते हैं।

सीसोदिआ ने झूठ और फ़रेब की सारी हदें पार कर दी हैं और लाखों स्कूली बच्चों और उन के माता-पिता को हर दिन यह कह कर मुर्ख बना रहा है कि उसने और उसके झूठे सलाहकारों ने मिल कर शिक्षा में सुधार कर दिया है।

यहाँ तक कि दिल्ली का मुख्य मंत्री अरविन्द केजरीवाल भी इस झूठ में अपने साथी सीसोदिआ के साथ है।केजरीवाल के झूठ और फ़रेब से तो दिल्ली की सारी जनता वाक़िफ़ है क्योंकि उसने हाल ही में कई लोगों से अपने झूठ के लिए औपचारिक रूप से माफ़ी मांगी है।

जबकि स्कूल में दसवीं क्लास तक के बच्चों को अभी ठीक से किताब पढ़नी भी नहीं आती, सीसोदिआ ने अपने आप को भारत का सबसे अच्छा शिक्षा मंत्री बताना शुरू कर दिया है।भगवान ही बचाए ऐसे “अच्छे शिक्षा मंत्री” से।


The author of this report – Rakesh Raman – runs a free school single-handedly (without any support) to provide modern education to deserving children in a poor colony of Delhi. He has interacted with hundreds of students and parents to understand the current education system in Delhi schools.

Under his NGO RMN Foundation, he is running multiple field campaigns and educational outreach programs with the help of student volunteers who study at RMN Foundation school. He has recently released a research report: “Fault Lines: A Research Report on the Quality of Education in Delhi Schools.”

He also has written academic as well as supplementary education books to provide modern education to children. He has developed a “Constructive Education Framework” for school students to help them compete in the modern knowledge-driven world.

Earlier, he was associated with the United Nations (UN) through United Nations Industrial Development Organization (UNIDO) as a digital media expert.


स्कूल की घटिआ पढ़ाई

तो आइए देखें दिल्ली के स्कूलों में हो क्या रहा है।स्कूल की पढ़ाई इतनी बेकार है कि भविष्य में किसी काम नहीं आएगी। स्कूल का पाठ्यक्रम इतना पुराना और घिसा–पिटा है कि उसे पढ़ने के बाद भी स्टूडेंट अनपढ़ ही माना जाता है।

Students of a government school in Delhi cross high walls and barbed wires to abscond from the school. Teachers have no control on students. Click the photo to know the details.
Students of a government school in Delhi cross high walls and barbed wires to abscond from the school. Teachers have no control on students. Click the photo to know the details.

स्कूल टीचर क्लास में पढ़ाने की बजाय बच्चों को प्राइवेट ट्यूशन के दलदल में धकेल रहे हैं।प्राइवेट ट्यूशन लेना या देना एक अपराध और सामाजिक बुराई है क्योंकि यदि बच्चों ने प्राइवेट ट्यूशन में पड़ना है तो स्कूल टीचरों को सरकारी धन से सैलरी क्यों दी जा रही है ?

स्कूल और ट्यूशन के बाद भी जो स्टूडेंट दसवीं (10th) या बारहवीं (12th) क्लास भी पास कर लेता है उसे पहली क्लास की पढ़ाई भी नहीं आती। ऐसे दसवीं और बारहवीं तक के स्टूडेंट न तो अच्छी तरह हिंदी भाषा जानते हैं न गणित। और इंग्लिश भाषा में तो बहुत ही बुरा हाल है। कुछ तो ठीक तरह से बोल भी नहीं पाते। क्या यह है पढ़ाई ?

यह कड़वे तथ्य सीसोदिआ से छिपे नहीं हैं क्योंकि उसी ने अभी दिल्ली के स्कूलों में मिशन बुनियाद शुरू किया है ताकि छोटी से बड़ी क्लास के स्टूडेंट कम से कम अपनी किताब तो पढ़ सकें।यदि अभी स्टूडेंट किताब ही पढ़ना नहीं जानते तो सीसोदिआ स्कूलों की पढ़ाई को अच्छा कैसे कह सकता है ?

दिल्ली के स्कूल ऐसे अनपढ़ बच्चों से लाखों की संख्या में भरे हुए हैं । ऐसे लाखों बच्चे कितना भी स्कूल में जाते रहें, वे अनपढ़ ही रहेंगे और नौकरी के लिए कभी तैयार नहीं होंगे । क्या सीसोदिआ नहीं जानता कि ऐसी पढ़ाई का कोई फायदा नहीं जो स्टूडेंट्स को अच्छी नौकरी न दे सके ?

सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के माता-पिता भी अक्सर गरीब और अनपढ़ होते हैं । क्योंकि उन्हें पढ़ाई के बारे में कुछ भी पता नहीं, नेता ऐसे माता-पिता को अपने झूठे दावों से मुर्ख बना सकते हैं – और बना रहे हैं ।


Violation of Child Rights

While I have been repeatedly informing the concerned authorities about the poor state of school education urging them to take remedial measures, they have been ignoring my requests. As this is also a case of child rights violation, the National Human Rights Commission (NHRC) has taken cognizance of the issue.

Through its letters dated April 4, 2018, NHRC has informed me that it has served notices to the Secretary, Department of Education, Government of Delhi, and the Secretary, Ministry of Human Resource Development, Government of India to take action in order to protect the education rights of school children.


नौकरी नहीं तो पढ़ाई क्यों ?

स्कूल की पढ़ाई के बाद अच्छे कॉलेज में दाखिला बहुत मुश्किल या असंभव है। कॉलेज की पढ़ाई खत्म करने के बाद भी नौकरी नहीं है क्योंकि स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई इतनी दिशाहीन है कि यह स्टूडेंट्स को  एक अच्छी नौकरी करने के योग्य नहीं बना सकती। इसका परिणाम यह है कि आज डिग्री वाले बेरोजगारों की संख्या बढ़ती जा रही है और बेरोज़गारी एक ख़तरनाक बीमारी की तरह फैली हुई है।

Young children forced by parents to sell eatables outside a school building in New Delhi, India. Click the photo to know the details.
Young children forced by parents to sell eatables outside a school building in New Delhi, India. Click the photo to know the details.

ऐसे बेरोज़गार लड़के और लड़कियां नशे का शिकार हो रहे हैं या जुर्म और अपराध करने लगे हैं। इससे उनका जीवन शुरू होने से पहले ही ख़त्म होता जा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण है स्कूलों में शिक्षा का गिरता हुआ स्तर। यहाँ तक कि भारत सरकार ने अपनी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप 2016 (Draft National Education Policy, 2016) में भारत की शिक्षा व्यवस्था में इतनी कमियाँ बताई हैं कि कुछ लोग तो अपने बच्चों को स्कूल या कॉलेज में भेजना ही बंद कर रहे हैं।नेता और सरकारी अधिकारी इस योग्य नहीं कि वे नई, प्रभावी शिक्षा नीति बना सकें।

दिल्ली और पूरे देश की शिक्षा के गिरते हुए स्तर की बात अब सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में की जा रही है। उदाहरण के लिए वैश्विक मानव विकास सूचकांक (एच.डी.आई.) – Global Human Development Index (HDI) – में भारत का स्थान विश्व में बहुत नीचे यानि 131 नंबर पर आता है – जो एक चिंता का विषय है।

जो विषय स्कूल में पढ़ाए जाते हैं, वे नौकरी लेने में सहायक नहीं हैं। सरकारी नौकरियाँ न के बराबर हैं। बढ़ी कंपनियों में नौकरियाँ हैं लेकिन उन नौकरियों के लिए आधुनिक पढ़ाई चाहिए जो आम स्कूल और कॉलेज नहीं दे रहे। स्कूल में टीचर भी आधुनिक पढ़ाई के बारे में नहीं जानते और वे इस योग्य नहीं कि बच्चों को उच्च शिक्षा और किसी अच्छी नौकरी या अच्छे काम के लिए तैयार कर सकें। सरकारी और प्राइवेट स्कूलों का एक सा ही बुरा हाल है।

आज के आधुनिक युग में नौकरी के लिए डिग्री से ज्यादा कौशल और योग्यता की जरूरत है। लेकिन ऐसा कौशल और योग्यता आज की पढ़ाई का हिस्सा नहीं है। इसका परिणाम यह है कि जिसके पास डिग्री है, उसके पास नौकरी नहीं और जिसने नौकरी देनी है उसे योग्य लोग नहीं मिल रहे। आज की पढ़ाई का व्यवसाय में कोई उपयोग नहीं है। इससे उद्योग और व्यापार धीरे चल रहे हैं या बंद हो रहे हैं। इसके फलस्वरूप कंपनियां लोगों को नौकरी देने की बजाय उन्हें नौकरी से निकाल रही हैं। हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं।

झूठे चुनावी वादे

भारत की आज़ादी के पिछले 70 साल में किसी भी नेता या राजनितिक दल ने भारत की शिक्षा प्रणाली में सुधार का प्रयास नहीं किया क्योंकि अधिकतर नेता जानते हैं कि हरेक चुनाव में ज़्यादातर अनपढ़ और ग़रीब लोग ही वोट डालते हैं। यदि लोग पढ़े-लिखे होंगे तो उन्हें नेता झूठे चुनावी वादों से धोखा नहीं दे सकेंगे। पढ़े-लिखे लोग वोट डालने से पहले दस बार सोचेंगे और इन सभी बेकार नेताओं को वोट डालना बंद कर देंगे जो पिछले 70 साल से मिल कर आम लोगों को लूट रहे हैं।

नेता आपको अच्छी शिक्षा नहीं दे रहे ताकि आप अनपढ़ रह कर उनके झूठ को सच मानते रहें और उन पर निर्भर रह कर उन्हें वोट डालते रहें। आपको अच्छी शिक्षा से सशक्त करने की बजाय मुफ्त का सामान देकर सरकारी मुहताज या गुलाम बना कर रखा हुआ है। भारत के दूसरे नेताओं की तरह दिल्ली के नेता भी आप से धोखा कर रहे हैं और ख़राब पढ़ाई को अच्छा कह कर बता रहे हैं ताकि आप उन्हें वोट डालते रहें।

और जैसा कि आप जानते हैं कि भारत का भ्रष्टाचार देश-विदेश में मशहूर है, दिल्ली के स्कूलों की पढ़ाई ठीक करने के पीछे छिपे भ्रष्टाचार को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता । स्कूलों में अच्छे टीचर रखने या पाठ्यक्रम ठीक करने या किताबें ठीक करने की बजाय करोड़ों रुपया स्कूलों में कमरों और स्विमिंग पूलों पर लगाया जा रहा है क्योंकि ऐसे कंस्ट्रक्शन के काम में नेताओं और सरकारी अधिकारीयों के लिए पैसा बनाना आसान है।

दिल्ली के 2018 के बजट में केजरीवाल सरकार ने ₹ 13,997 करोड़ या कुल बजट ₹ 53,000 करोड़ का 26% शिक्षा क्षेत्र के लिए रखा है जो की एक बहुत बड़ी राशि है। ऐसा लगता है कि यह सारा पैसा स्कूलों में कमरों, बिल्डीगों, और स्विमिंग पूलों पर खर्च होगा पढ़ाई पर नहीं । इसलिए दिल्ली सरकार – खास कर एल. जी. ऑफिस – को चाहिए कि खर्च होने से पहले एक-एक पैसे का हिसाब एक स्पेशल वेबसाइट पर डालें । और हाँ, यदि सीसोदिआ के किसी शिक्षा सलाहकार को एक रुपया वेतन दिया जा रहा है तो उसका वेतन न बता कर यह बताया जाए कि सरकार ने उस पर कितना धन (cost to the government) खर्च किया है।

शिक्षा लाओ, स्कूल बचाओ – आंदोलन

क्योंकि दिल्ली सरकार शिक्षा में सुधार नहीं कर पा रही है, RMN Foundation ने शिक्षा लाओ, स्कूल बचाओ – आंदोलन शुरू किया है । इसमें अलग-अलग जगह पर जा कर और परचे बाँट कर दिल्ली के लोगों को शिक्षा की कमियों और सुधारों के बारे में बताया जा रहा है ताकि वे सरकारी झूठ से बच सकें ।

RMN Foundation launched the next phase of its education awareness campaign in New Delhi in March 2018. Click the photo to know the details.
RMN Foundation launched the next phase of its education awareness campaign in New Delhi in March 2018. Click the photo to know the details.

इसी आंदोलन में अब RMN Foundation ने एक नाटक – चमेली की पढ़ाई – शुरू किया है । यह नाटक दिल्ली में अलग-अलग जगह पर किया जा रहा है। इस नाटक की नायिका चमेली बताती है कि कैसे स्कूल की ख़राब पढ़ाई ने उसकी जिंदगी बर्बाद कर दी है ।

इस आंदोलन का उद्देश्य है कि दिल्ली के लोग मिल कर आवाज़ उठाएं ताकि जल्दी से स्कूल का सारा पाठ्यक्रम और पढ़ाई का तरीका इस तरह बदला जाए कि यह नौकरी लेने में सहायक हो। इसी तरह स्कूल में टीचर भी केवल वे रखे जाएं जो आधुनिक शिक्षा के बारे में पूरी तरह से जानते हों और वैसा ही पढ़ाएं जो लोगों को अच्छी नौकरी लेने या अच्छा काम करने में सहायक हो।यह पूरी तरह से संभव है ।

इसलिए हमारा आप से अनुरोध है कि आप शिक्षा लाओ, स्कूल बचाओ – आंदोलन में शामिल होकर शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए पूरा सहयोग दें। हम आपके सहयोग से इस आंदोलन की आवाज़ पूरी दिल्ली में पहुंचायेंगे। दिल्ली के सभी स्टूडेंट, माता-पिता, टीचर, और आम नागरिक इस आंदोलन में शामिल हो सकते हैं।


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[ Fault Lines: A Research Report on the Quality of Education in Delhi Schools ]

[ दिल्ली के स्कूलों में शिक्षा का गिरता हुआ स्तर और उसमें सुधार का प्रयास ]

[ Education Dilemma Persists in the Schools of Delhi ]


By Rakesh Raman, who is a national award-winning journalist and social activist. He is the founder of a humanitarian organization RMN Foundation which is working in diverse areas to help the disadvantaged and distressed people in the society.

About Rakesh Raman

Rakesh Raman
Rakesh Raman

Rakesh Raman is a government’s national award-winning journalist and social activist. Besides working at senior editorial positions with India’s leading media companies, he had been writing an edit-page column for The Financial Express, a business newspaper of the Indian Express group.

Nowadays, for the past about 7 years, he has been running his own global news services on different subjects. He also has formed an environment-protection group called Green Group in Delhi. He has created a comprehensive online information service to educate the Indian voters for the upcoming Lok Sabha election scheduled to happen in 2019.

He is also running an exclusive community-driven online editorial section under the banner “Clean House” to help the suffering residents of Delhi raise their voice against the growing corruption and injustice in group housing societies where millions of people live.

Earlier, he had been associated with the United Nations (UN) through United Nations Industrial Development Organization (UNIDO) as a digital media expert to help businesses use technology for brand marketing and business development.

Rakesh Raman’s Work for Children’s Education

Books by Rakesh Raman
Books by Rakesh Raman

Rakesh Raman has written innovative storybooks to educate children in the high-tech area of information and communications technology (ICT) or computers through interesting stories. He also has written a “Multiple Subject Guide for Primary Learning” which teaches different subjects to children who study at the primary level.

He also runs RMN Kids, which is an edutainment (education and entertainment) website for children, their parents, and teachers. It is a global online content property covering diverse topics of contemporary relevance for children of all age groups. He has developed a “Constructive Education Framework” for school students to help them compete in the modern knowledge-driven world.

He has formed a free Education and Career Counselling Center for deserving children at a poor J.J. Colony in Dwarka, New Delhi under his NGO – RMN Foundation.

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Rakesh Raman
463, DPS Apts., Plot No. 16, Sector 4
Dwarka, Phase I, New Delhi 110 078, INDIA
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