DPS CGHS डी पी एस हाउसिंग सोसाइटी में फार के भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लोगों ने उठाई आवाज़ 

DPS CGHS MC is illegally using common areas in the Society building and blocked the pathway without the consent of all the members.
DPS CGHS MC is illegally using common areas in the Society building and blocked the pathway without the consent of all the members.

DPS CGHS डी पी एस हाउसिंग सोसाइटी में फार के भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लोगों ने उठाई आवाज़ 

DPS Cooperative Group Housing Society (DPS CGHS), Plot No. 16, Sector 4, Dwarka, New Delhi 110 078

कोआपरेटिव रजिस्ट्रार (RCS) और सरकार को डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों को सोसाइटी से निकाल कर उनके सारे अपराधों की जाँच के लिए एक न्यायिक कमेटी का गठन करना चाहिए ताकि अपराधियों को जल्दी से सज़ा हो सके।

July 14, 2019

By Rakesh Raman

आप ने सुना होगा कि पैसे की भूख आदमी को अँधा बना देती है।लेकिन सेक्टर 4 द्वारका की डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी (DPS CGHS) ने इस कहावत को एक नया रूप दे दिया है।डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों को शायद पैसे की भूख अँधा अपराधी बना रही है। 

ऐसा लगता है कि अब वे ग़ैरक़ानूनी ढंग से पैसा बनाने के लिए कोई भी अपराध करने को तैयार हैं। क्योंकि छोटे-मोटे भ्रष्टाचार से उनकी भूख मिट नहीं रही थी, इसलिए अब डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों ने बड़ा हाथ मारने की कोशिश की है। 

अब मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों ने ग़ैरक़ानूनी रूप से सोसाइटी में रिपेयर और फार (FAR या floor area ratio) कंस्ट्रक्शन का एक और भ्रष्टाचारी काम शुरू करने का फैसला किया है।माना जाता है कि इस कंस्ट्रक्शन के काम में कम से कम 10 करोड़ रुपए का घपला हो सकता है। 

हालाँकि मैनेजिंग कमेटी (MC) ने रिपेयर और फार का काम 1 जुलाई से करने की घोषणा की थी और यह भी कहा था कि 5 जुलाई से कंस्ट्रक्शन का सामान बिलडिंग के अंदर आना शुरू हो जायेगा लेकिन यह काम रुक गया है। 

सुनने में आया है कि जैसे विवेक एंड आरती (Vivek & Arti Architects) आर्किटेक्ट इस काम को बीच में छोड़ कर भाग गया है उसी तरह ऑमस्टार (Om Star) कंस्ट्रक्शन कम्पनी को मैनेजिंग कमेटी (MC) की आपराधिक गतिविधियों के बारे में पता चल गया है और वह इस काम को हाथ में लेना नहीं चाहती।जो भी कम्पनी ऐसी भ्रष्टाचारी सोसाइटी के साथ काम करेगी, वह इतनी बदनाम हो जाएगी कि उसका बिज़नेस बंद हो जायेगा। 

DPS CGHS residents have started a signature campaign to oppose FAR construction
DPS CGHS residents have started a signature campaign to oppose FAR construction

इस बीच डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी के बहुत से लोगों ने मिल कर एक हस्ताक्षर अभियान (signature campaign) शुरू कर दिया है जिसमें वे सोसाइटी में रिपेयर और फार के काम के विरोध में खड़े हो गए हैं।जैसे जैसे और लोगों को यह पता चल रहा है कि फार कंस्ट्रक्शन का काम ग़ैरक़ानूनी और आपराधिक है, उन्होंने मैनेजिंग कमेटी (MC) से अपने पैसे जो उन्होंने फार कंस्ट्रक्शन के लिए दिए थे वापिस मांगने शुरू कर दिये हैं।और लोगों ने पैसे देने से इनकार कर दिया है।

रिपेयर और फार का ग़ैरक़ानूनी काम 

आप सब को यह जानना बहुत जरूरी है कि फार कंस्ट्रक्शन MPD-2021 and Unified Building Bye-Laws (UBBL) के साथ-साथ कई और क़ानूनों का उल्लंघन करता है, इसलिए यह पूरी तरह से एक आपराधिक काम है। यदि आप Delhi Apartment Ownership Act, 1986 को ही देखें तो सोसाइटी में सब लोगों की सहमति के बिना मैनेजिंग कमेटी (MC) एक ईंट भी हिला नहीं सकती। इस कानून के सेक्शन (4)(a) के अनुसार सोसाइटी के किसी भी हिस्से को सोसाइटी के सभी सदस्यों की लिखित रूप में सहमति के बिना छेड़ा नहीं जा सकता। 

The Section (4)(a) of the Delhi Apartment Ownership Act states that

The percentage of the undivided interest of each apartment owner in the common areas and facilities shall have a permanent character, and shall not be altered without the written consent of all the apartment owners.

लेकिन डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों के पास तो सब लोगों की सहमति नहीं है।उन्होने तो डी. डी. ए. (DDA) में भी ग़लत जानकारी और गैरकानूनी ड्राइंग प्लान दी हैं।इसलिए मैनेजिंग कमेटी (MC) जो कमरे इत्यादि सोसाइटी की बिलडिंग में बना रही है, वे सब ग़ैरक़ानूनी हैं और कभी भी शिकायत करके तुड़वाये जा सकते हैं और इसका दंड मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों को और उन लोगों को भुगतना पड़ेगा जिन्होंने फार कंस्ट्रक्शन के लिए पैसे दिए हैं। [ जो लोग फार में अपराध और भ्रष्टाचार के बारे में और जानना चाहते हैं, वे यहाँ क्लिक करे और रिपोर्ट पढ़ें । ]

डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों को अब पता है कि फार एक ग़ैरक़ानूनी और आपराधिक काम है।इसलिए वे इसे शुरू करने में हिचकिचा रहे हैं और जो काम उन्होंने सोसाइटी में पूजा का ड्रामा करके 1 जुलाई को शुरू करने का ऐलान किया था, वह अभी तक शुरू नहीं किया। 

DPS CGHS MC has dug a big pit in the building which can be risky for residents.
DPS CGHS MC has dug a big pit in the building which can be risky for residents.

इसलिए जिन लोगों ने रिपेयर और फार कंस्ट्रक्शन के लिए लाखों रुपया दिया है, उन्हें मैनेजिंग कमेटी (MC) से अपना पैसा वापिस लेना चाहिये।यदि मैनेजिंग कमेटी (MC) पैसा वापिस करने में देरी करती है, तो उन्हें तुरंत मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों के ख़िलाफ़ पुलिस में शिकायत करनी चाहिए क्योंकि यह फ्रॉड और धोखा धड़ी का मामला है। 

और यदि डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी की मैनेजिंग कमेटी (MC) आप के पैसे को दाव पर लगा कर रिपेयर और फार कंस्ट्रक्शन का काम शुरू करती है, तो बहुत से लोग इस काम को रुकवाने के लिए कोर्ट में जाने के लिए तैयार बैठे हैं।जैसे दिल्ली हाई कोर्ट ने और जगह फार का काम रोक दिया है, डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी में यह काम रुक जायेगा ।

लेकिन डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी के लोगों ने यह तय किया है कि वे कोर्ट में तब जायेंगे जब रिपेयर और फार का काम सोसाइटी में पूरी तरह से शुरू हो जायेगा और घर टूट चुके होंगे।उस वक्त जब काम रुकेगा तो उन लोगों को सबसे अधिक नुकसान होगा जो रिपेयर और फार के लिए मैनेजिंग कमेटी (MC) को पैसा दे रहे हैं । तब उनके लिए घर में रहना भी मुश्किल होगा क्योंकि घर टूटा हुआ होगा और उसे बेचना भी मुश्किल होगा क्योंकि टूटा हुआ घर कोई खरीदेगा नहीं। 

डी पी एस हाउसिंग सोसाइटी में भ्रष्टाचार की जाँच

आप को यह जान कर आश्चर्य होगा कि डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्य (नीरज वैश, बाला सुब्रामनियन, सम्पतकुमार, लीला स्वामी, संदीप तनेजा, मंगूराम त्यागी, और नसीम अफ़्शाक) रिपेयर और फार कंस्ट्रक्शन का ग़ैरक़ानूनी काम उस वक़्त शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं जब कि इनके ऊपर भ्रष्टाचार और अन्य अपराधों के मामले भिन्न-भिन्न अदालतों और अपराध रोकने वाली संस्थाओं में दर्ज हैं। 

दिल्ली सरकार की हाउसिंग सोसाइटी के लिए सबसे बड़ी अदालत (RCS Court) ने अपनी प्रारंभिक जाँच में पाया है कि डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी के मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों ने बहुत बड़ा भ्रष्टाचार किया है। इसलिए अदालत ने आगे की जाँच का निर्देश दे दिया है।

हालाँकि पहले मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्य ने अदालत में कह दिया था कि अदालत जाँच करवा सकती है लेकिन जब अदालत ने जाँच के लिए इंस्पेक्टर की नियुक्ति कर दी तो मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों के हाथ-पाँव फूलने लगे। 

डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी के मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों और इनके अपराधी गिरोह – जिसमें सोसाइटी के करीब 30 और लोग शामिल हैं – सोचा होगा की यदि जाँच हो गई तो वे सब लोग फँस सकते है और उन्हें जेल में चक्की पीसनी पड़ सकती है। इसलिए यह सब लोग किसी भी तरह जाँच से बचने की कोशिश कर रहे हैं। 

DPS CGHS MC is using common areas illegally in the Society building without the consent of all the members.
DPS CGHS MC is using common areas illegally in the Society building without the consent of all the members.

क्योंकि यह डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी के मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार का एक गंभीर मामला है जिसमें करोड़ों रुपए की हेरा-फेरी का अनुमान है, अदालत (RCS Court) में इसकी अगली सुनवाई 30.07.2019 को है। 

अदालत (RCS Court) ने यह भी कह दिया है कि डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्य जानभूझ कर कोर्ट के आदेश को नहीं मान रहे और जाँच को रोकने की कोशिश कर रहे हैं जो और भी बड़ा अपराध है।अब यह डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी के भ्रष्टाचार का केस RCS Court से भी बड़ी अदालत कोर्ट ऑफ़ फ़ाइनेंशियल कमिशनर (Court of Financial Commissioner) में चला गया है जहाँ सोसाइटी के अलावा और भी आपराधिक मामलों की सुनवाई होती है।यहाँ पहली सुनवाई 30.07.2019 को है।

यहाँ यह बताना आवश्यक है कि इस डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) में 4 सदस्य (नीरज वैश, बाला सुब्रामनियन, लीला स्वामी, और संदीप तनेजा) ऐसे हैं जिन्होंने कुछ साल पहले भी ऐसा रिपेयर का काम सोसाइटी में शुरू किया था। इस काम को करने के लिए एक कंपनी 4 लाख रुपया मांग रही थी लेकिन इन्होने एक और कंपनी को उसी काम के 30 लाख रुपए से भी अधिक दाम दिए थे जबकि वह रिपेयर का काम अभी तक पूरा नहीं हुआ।

क्योंकि यह मामला भ्रष्टाचार का है, इसकी अलग से अदालत (RCS Court) में जाँच चल रही है।इस मामले में वाटर टैंकर की ख़रीद में भी करोड़ों रुपए का घपला हुआ है।इस केस में इन 4 सदस्यों के अलावा 3 और लोग हैं जिनका नाम है के. वी. वर्गीस, मनजीत कौर, और गौरव कुमार सूद।

डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी में बढ़ते अपराध 

क्योंकि डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों के अपराध बढ़ते जा रहे हैं, अब भ्रष्टाचार के साथ-साथ और कई केस जुड़ते जा रहे हैं – जैसे कि मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों के पास आय से अधिक सम्पत्ति (Disproportionate Assets) का केस, आपराधिक धमकी (criminal intimidation) का केस, अपने कानूनी केस लड़ने के लिए सोसाइटी के धन का दुरुपयोग, आपराधिक षड्यंत्र (criminal conspiracy), जालसाज़ी (cheating), और अपने फायदे के लिए दूसरों से धोखे (fraud) का केस। 

जबकि RCS Court इन सारे आपराधिक मामलों की जाँच नहीं कर सकता, इसलिए अब डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी के मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों के ख़िलाफ़ सैंक्शन ऑफ़ प्रॉसिक्यूशन (Sanction of Prosecution) की अपील की गयी है ताकि मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों के ख़िलाफ़ केस दूसरी अदालतों में ले कर जाया जा सके। ऐसा ही एक केस जिसमे मैनेजिंग कमेटी के सदस्यों को पहले ही सज़ा हो चुकी है, द्वारका कोर्ट में चल रहा है। और दिल्ली पुलिस ने मुझे अपने 22.05.2019 के एक लेटर से बताया है कि यह केस आर्थिक अपराध शाखा (Economic Offences Wing) को भेज दिया गया है। 

हालाँकि डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों को जेल की सज़ा होने में देरी हो रही है क्योंकि भारत में कानून की व्यवस्था बहुत धीमी है, लेकिन यह तो आप देख रहे होंगे कि कानून का शिकंजा धीरे-धीरे हर तरफ़ से मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों की ओर बढ़ रहा है। 

डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्य सरकारी दफ्तरों में रिश्वत दे कर या दूसरे हथकंडे लगा कर कुछ देर के लिए अपनी जाँच या सज़ा को दूर तो कर सकते हैं लेकिन ख़त्म नहीं कर सकते। सज़ा तो इनको हो कर ही रहेगी। 

अब मैंने RCS और DDA के उन सरकारी अफसरों की भी जाँच शुरू करवा दी है जो रिश्वत लेकर या किन्ही और कारणों से डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी के मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों को भ्रष्टाचार के मामले में बचाने की कोशिश कर रहे थे।

इसका सीधा मतलब यह है कि जब तक डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्य भ्रष्टाचार में लूटा करोड़ों रुपया सोसाइटी को वापिस नहीं करते और उन्हें जेल नहीं होती, यह केस जारी रहेगा।और यदि इस दौरान उनका देहांत हो जाता है तो उनके बच्चों या दूसरे वारिसों को इस भ्रष्टाचार के मामले का सामना करना पड़ेगा।

यहाँ मैं एक बात साफ़ कर देना चाहता हुँ कि मैंने अपनी शिकायतों में कहा है कि डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी में भ्रष्टाचार की जाँच तब से होनी चाहिए जब से यह सोसाइटी करीब 20 साल पहले बनी थी क्योंकि इस सोसाइटी में हर कदम पर धोखा, बेईमानी और भ्रष्टाचार है।

झूठे नोटिस की धमकी 

आजकल डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्य बहुत बौखलाये हुए हैं और इस बौखलाहट में उन लोगों को सोसाइटी से निकालने के झूठे नोटिस दे रहे हैं जो इनके अपराधों की शिकायत सरकार को कर रहे हैं।एक ऐसा नोटिस मुझे भी भेजा है जबकि करीब एक साल पहले, मुझे सोसाइटी से निकलवाने में वे असफल रहे थे और RCS Court में केस हार गये थे।

ऐसे झूठे नोटिस भेज कर डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्य और भी अपराध कर रहे हैं और अपनी क़ब्र आप ही खोदने का काम कर रहे हैं।इन्होंने मुझे झूठे नोटिस भेज कर, पुलिस में झूठी शिकायतें करके, कानूनी नोटिसों से, और यहाँ तक कि शारीरिक नुकसान पहुँचाने की धमकी देकर मेरी आवाज़ को दबाने की कोशिश की है।लेकिन डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्य इतने मूर्ख हैं कि वे यह नहीं समझ पाए कि मैं डरने वालों में नहीं हूँ ।

यह मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्य मुझे धमका कर कहते हैं कि मैं इनके कुकर्मों के बारे में अपनी न्यूज़ साइट पर ना लिखूं।लेकिन क्या यह मुझे रोक पाए हैं ? नहीं।क्या यह मुझे रोक पाएंगे ? नहीं। मैं तो अपनी न्यूज़ साइट पर और The Integrity Bulletin न्यूज़लेटर पर भारत और दुनिया के बहुत से भर्ष्टाचारियों के बारे में लिखता हूँ। एक पत्र्कार होने के नाते यह तो मेरा काम है। इसे तो कोई भी बंद नहीं करवा सकता। 

हाँ यदि किसी को किसी आर्टिकल के किसी हिस्से से आपत्ति है तो वह मुझे तथ्यों के साथ लिख सकता है।यदि मेरे से आर्टिकल में गलती हुई है तो मैं उसे ठीक करूँगा। लेकिन यदि मुझे कोई कहे कि मैं लिखना ही बंद कर दूँ – जैसा कि डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्य कह रहे हैं, यह तो मेरे पत्र्कारिता के काम पर हमला है।इसे तो मैं कभी भी सहन नहीं कर सकता।

पत्र्कारिता के नियमों का पालन करते हुए मैंने डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों को अपनी सफाई देने और सूचना देने का पूरा मौका दिया है।लेकिन जब वे सूचना नहीं देते या टाल-मटोल करते हैं तो एक पत्र्कार होने के नाते यह मेरा अधिकार है कि मैं पब्लिक डोमेन से जानकारी लेकर अपना आर्टिकल पूरा करूँ।डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्य इतने डरे हुए हैं कि वे मेरे प्रश्नों का सीधा उत्तर देने की बजाय किसी बहाने से जानकारी छुपाने की कोशिश करते है।

यहाँ तक कि कुछ महीने पहले मैंने एक RTI के द्वारा डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों से कुछ जानकारी मांगी।उन्होंने यह कह कर जानकारी नहीं दी कि यह काम बहुत बड़ा है।लेकिन अब तो उसको कई महीने हो गए हैं।अब तो उनको पूरी जानकारी मुझे दे देनी चाहिए थी और सोसाइटी की वेबसाइट पर डाल देनी चाहिए थी।लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। 

RTI के कानून के अनुसार जिस फॉरमेट में जानकारी मांगी गई हो उसे उसी फॉरमेट में देना पड़ता है और हरेक कॉपरेटिव सोसाइटी RTI के दायरे में आती है।लेकिन जब मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्य मुझे पूरी जानकारी नहीं दे रहे, वे मुझे अपनी न्यूज़ साइट पर लिखने से कैसे रोक सकते हैं? नहीं रोक सकते चाहे वे कितने ही नोटिस भेज लें। 

पत्र्कारिता में धमकियां

मेरे 25 साल से भी अधिक के पत्र्कारिता के कैरियर में जो मैनें चंडीगढ़ में The Tribune से शुरू किया था मुझे भरष्टाचारियों और अपराधियों से हर तरह की धमकियां मिली हैं।तो क्या मैंने लिखना बंद कर दिया? नहीं।अब मैं कई साल से दिल्ली की हाऊसिंग सोसिएटियों के भ्रष्टाचार के बारे में अपनी क्लीन हाउस (Clean House) सर्विस में लिख रहा हूँ और बहुत सी सोसाइटी वाले लोग मुझे धमकी देते रहते हैं।तो क्या मैंने लिखना बंद कर दिया ? नहीं।

मैं दिल्ली और भारत सरकार में भ्रष्टाचार के बारे में कई साल से लिख रहा हूँ और कुछ सरकार के भरष्टाचारियों ने मेरी न्यूज़ साइट तक कुछ घंटे के लिए टेलीकॉम डिपार्टमेंट के द्वारा बंद करवा दी थी।तो क्या मैंने लिखना बंद कर दिया? नहीं।बल्कि मेरी पत्र्कारिता के लिए सरकार ने मुझे गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय पुरस्कार दिया है। 

तो क्या डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्य जो किसी गिनती में ही नहीं आते किसी  RCS ऑफ़िस के सरकारी बाबू के साथ मिल कर मेरा लिखना बंद करवा सकते हैं ? नहीं।अब तो मैंने यह सोचा है कि यदि डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों ने मुझे ऐसे झूठे नोटिस और भेजे या अपने अपराध बंद नहीं किये तो मुझे विवश हो कर उनके वारिस बच्चों या दूसरे रिश्तेदारों के नाम भी अपने आर्टिकलों में लिखने पड़ेंगे ताकि उन्हें इनकी भ्रष्टाचार वाली सम्पत्ति में हिस्सा ना मिले और इनकी आने वाली कई पीडियां इसी भ्रष्टाचार की बदनामी के अंधेरे में रहें। 

डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों के लिए यही अच्छा होगा कि वे अपने गिरोह के साथ अपनी आपराधिक गतिविधियाँ बंद करके सोसाइटी छोड़ कर कहीं और चले जायें और ईमानदारी के साथ अपनी जिंदगी कहीं और शुरू करें। 

भ्रष्टाचार के सबूत 

आप को यह जान कर हैरानी होगी कि मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्य झूठे नोटिसों में लोगों को कह रहे हैं कि उन्होंने बिना सबूत के RCS Court और अन्य जगह में केस फ़ाइल किये हैं।यह तो मूर्खता की हद है।क्या बिना सबूत के कोई किसी के ख़िलाफ़ केस कर सकता है और क्या बिना सबूत के किसी की भ्रष्टाचार की जाँच शुरू हो सकती है ? नहीं। इसका मतलब है कि सरकार और जाँच एजेंसियों के पास डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों के ख़िलाफ़ काफ़ी सबूत है। 

और सबूत तो जाँच एजेंसियों को ही दिए जाते हैं।क्या आपने कभी सुना है कि चोरी की शिकायत करने वाला चोर को सबूत दे ? वह तो सबूत पुलिस या जाँच अधिकारी को ही देगा। तो डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्य उन सोसाइटी के लोगों से सबूत क्यों मांग रहे हैं जिन्होंने इनके ख़िलाफ़ केस किया है या कोई शिकायत की है ? अगर सबूत चाहिए तो अदालत से माँगे जिसने जाँच का आदेश दिया है।

अदालत (RCS Court) के जाँच के आर्डर में साफ़ तौर से कहा गया है कि उसने केस से जुड़े तथ्यों का अध्ययन करने के बाद ही जाँच के आदेश दिए हैं।जाँच के आर्डर में यह भी लिखा गया है कि क्योंकि यह मामला गंभीर है इसलिए डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी द्वारा आर्थिक या अन्य अनियमितताओं (financial and other irregularities) की पूरी तरह से जाँच करना आवश्यक है। 

यदि फिर भी मैनेजिंग कमेटी (MC) को लगता है कि उनके ख़िलाफ़ सबूत नहीं है तो वे जाँच क्यों रोक रहे हैं ? होने दें जाँच।वे इसलिए जाँच नहीं होने देना चाहते क्योंकि डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी के रिकॉर्ड में करोड़ों रूपये की गङबङ है।और कुछ संदेहजनक रिकॉर्ड तो नष्ट कर दिए गए हैं।और अपने बचाव के लिए मैनेजिंग कमेटी कई कागज़ों में छेड़-छाड़ कर रही है। 

अब मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्य पेटीशनर (petitioners) को धमका कर और उनके ख़िलाफ़ एक्सप्लशन (expulsion) के नोटिस निकाल कर पेटीशनर से सबूत नहीं मांग सकते। यह तो बहुत बड़ा अपराध है । यह तो ऐसे लगता है कि चोरों ने भी अपनी अदालत लगाना शुरू कर दिया है। 

और यदि RCS ऑफ़िस के किसी सरकारी बाबू ने रिश्वत लेकर या किसी अन्य कारण से ऐसे बेहूदा नोटिसों पर कार्यवाही करके मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों के ख़िलाफ़ शिकायत करने वालों को कोई पत्र लिख कर तंग किया तो उस RCS ऑफ़िस के अधिकारी का इस षडयंत्र में हाथ माना जायेगा और उस अधिकारी के ख़िलाफ़ कार्यवाही होगी।RCS ऑफ़िस को मैनेजिंग कमेटी (MC) द्वारा पेश किये गए सारे एक्सपल्शन नोटिस डिसमिस या खारिज कर देने चाहिए।

डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों और इनके गिरोह के कुछ और लोगों के ख़िलाफ़ मैंने करीब 100 पेज की अलग-अलग शिकायतों में फैक्ट्स के साथ सबूत दिए हैं जिसको अदालत (RCS Court) और देश की दूसरी भ्रष्टाचार-विरोधी संस्थाओं ने माना है और तभी तो जाँच के निर्देश दिए गए हैं।

अब तो मेरे पास और भी सबूत हैं जो मैं उस वक्त जाँच एजेंसी को दूंगा जब जाँच शुरू होगी ताकि जल्दी से इस मामले में चार्ज शीट फाइल हो सके और अपराधियों को सज़ा हो सके।अनुमान के अनुसार इस वक्त डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी में अभी तक करीब 20 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हो चुका है।यह सारी राशि अपराधियों से रिकवर करके सोसाइटी के अकाउंट में डाली जाएगी और सोसाइटी में कल्याण के कामों पर खर्च होगी। 

इस वक्त डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी में इतने अपराध, भ्रष्टाचार, टकराव और विवाद हैं कि यहाँ किसी तरह का कोआपरेटिव कल्चर नहीं है।इसका सारा दोष सोसाइटी की मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों पर जाता है।

इसलिए कोआपरेटिव रजिस्ट्रार (RCS) और सरकार को डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी मैनेजिंग कमेटी (MC) के सदस्यों को सोसाइटी से निकाल कर उनके सारे अपराधों की जाँच के लिए एक न्यायिक कमेटी का गठन करना चाहिए ताकि अपराधियों को जल्दी से सज़ा हो सके।

यदि आप डी. पी. एस. हाउसिंग सोसाइटी में हो रहे अपराधों के बारे में और जानना चाहते हैं तो नीचे दियेगे लिंक को क्लिक करें ।

लिंक: http://www.ramanmedianetwork.com/humanitarian-crisis-persists-at-dps-housing-society-in-delhi/ 

By Rakesh Raman, who is a national award-winning journalist and social activist. He is the founder of a humanitarian organization RMN Foundation which is working in diverse areas to help the disadvantaged and distressed people in the society. He also creates and publishes a number of digital publications on different subjects.

About Rakesh Raman

Rakesh Raman
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Rakesh Raman is a national award-winning journalist and social activist. Besides working at senior editorial positions with leading media companies, he was writing an exclusive edit-page column regularly for The Financial Express (a daily business newspaper of The Indian Express Group).

Nowadays, for the past about 8 years, he has been running his own global news services on different subjects. He also has formed a free Education and Career Counselling Center for deserving children at a poor J.J. Colony in Dwarka, New Delhi under his NGO – RMN Foundation.

He runs an exclusive community-driven anti-corruption social service “Clean House” to help the suffering residents of Delhi raise their voice against the growing corruption and injustice. He also has formed an environment-protection group called Green Group in Delhi.

He creates and distributes a number of digital publications that cover areas such as technology, law, environment, education, politics, corruption and transparency. He also publishes Real Voter digital magazine that focuses on politics and governance in India.

Earlier, he had been associated with the United Nations (UN) through United Nations Industrial Development Organization (UNIDO) as a digital media expert to help businesses use technology for brand marketing and business development.

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